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Pushpa Movie Review : एक्शन और डायलागबाजी से भरपूर है अल्लू अर्जुन की ‘Pushpa’ यहां पढ़ें Review

पैन इंडिया फिल्मों में मौजूद तेलुगु भाषा की फिल्म बनी पुष्पा द राइज – पार्ट वन तमिल, हिंदी, मलयालम और कन्नड़ के सभी भाषाओं में सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। इस फिल्म में आपको सुपरस्टार अल्लू अर्जुन देखने के लिए मिलेंगे। Pushpa Movie Review में कहानी की शुरुआत आंध्र प्रदेश के शेषाचलम घने जंगल से होती है , जहां पर आपको लाल चंदन की लकड़ियों की तस्करी चेन्नई चीन से होते हुए जापान तक होती है। पुष्पराज जोकि अल्लू अर्जुन इन लकड़ियों की तस्करी करते हैं। पुष्पराज एक नाजायज औलाद होते हैं और उनको एरिया में ज्यादा इज्जत नहीं मिलती है। पुष्पराज लाल चंदन की लकड़ी को काटने वाले दिहाड़ी मजदूर के तौर पर कोंडा रेड्डी के लिए काम करते है।

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Image Credit : Wikipedia

जब एक बार पुष्पा को लकड़ियों की तस्करी करते हुए पुलिस पकड़ कर ले जाती है और काफी पूछताछ करते हैं लेकिन पुष्पा लकड़ियों के बारे में कुछ भी नहीं बताता है। जब पुलिस पुष्पा को छोड़ देती है उसके बाद कोंडा रेड्डी पुष्पा से लकड़ियों के भरे ट्रक के बारे में पूछता है तो पुष्पा इस चीज़ के बताने के  ₹500000 मांगता है। कोंडा रेड्डी जब उसको 5 लाख रूपये देता है उसके बाद उनको ट्रक से बढ़ी हुई लकड़ियां मिल जाती है। फिल्म में पुष्पा काफी तेज दिमाग का इस्तेमाल करके कोंडा रेड्डी की तस्करी की हुई लकड़ियों की अच्छे से छुपाता है। धीरे धीरे पुष्पा  कोंडा रेड्डी का पार्टनर बन जाता है। वही पुष्पा को श्रीवल्ली (रश्मिका मंदाना) से प्यार हो जाता है और उसको इम्प्रेस करने के चक्कर में बहुत कुछ करता है।

कोंडा रेड्डी के जरिये सभी चन्दन की लकडिया मंगलम श्रीनु (सुनील) के जरिये चेन्नई जाकर बेची जाती थी। इन लकड़ियों से मंगलम श्रीनु को 2 करोड़ रुपये लेता था , लेकिन कोंडा रेड्डी को 2 करोड़ के बारे में नहीं पता था और उसे सिर्फ 25 लाख ही देता था। जब पुष्पा को इन सारी बात के बारे में पता चलता है और वो  कोंडा रेड्डी को बताता है जिसके बाद  कोंडा रेड्डी और मंगलम श्रीनु की अलग अलग टीम बन जाती है।

जब एक मजदूर क्राइम की दुनिया का बादशाह बनने लगता है यह कोई नई बात नहीं है लेकिन फिल्म के निर्देशक और लेखक कुमार ने इसको नए तरीके से पेश किया है। आपको कभी लगेगा इस फिल्म को एक ही पार्ट में खत्म किया जा सकता था। लेकिन फिल्म में आखिरी घंटे में भंवर सिंह शेखावत की एंट्री होती है जोकि एक पुलिस के अधिकारी होते है। भंवर की जब पुष्पा से मीटिंग होती है जिसमे भंवर पुष्पा की काफी बेज़्ज़ती करते है, जिसके बाद पुष्पा को काफी बुरा लगता है और वो भंवर से बहुत इज़्ज़त से बात करके उसी सभी बातो को मानते है। फिल्म के आखिरी में पुष्पा और भंवर सिंह शेखावत की दुश्मनी के सीन्स देखने को मिलते है और पुष्पा अपने बारे में उसको बताता है कि कैसे वो पुष्पा भाई बना है।

अल्लू अर्जुन ने पुष्पा फिल्म के काफी अच्छा किरदार निभाया है। एक मजदूर से लेकर गैंग के लीडर बनने का सफर उन्होंने अपने हावभाव, बॉडी लैंग्वे से फिल्म में जान ही डाल दी है। अभिनेता श्रेयस तलपड़े ने पुष्पा हिंदी की डबिंग की है और उनकी आवाज बिलकुल सही बैठी है। जिसकी वजह से Pushpa Movie Review में ऑडियंस ने बहुत प्यार दिया है। फिल्म के कुछ डायलॉग काफी वायरल भी हुए है जिसमे पुष्पा नाम सुनकर फ्लावर समझे क्या ……… फ्लावर नहीं फायर है और सामने कोई भी हो, मैं झुकेगा नहीं… आदि डायलॉग है।

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